Monday, January 6, 2020

नपुंसकता (Impotency ) नामर्दी का powerfull इलाज 2020 by Dr. Amrish Kumar



नपुंसकता (Impotency ) नामर्दी का power full इलाज 2020 by  Dr. Amrish Kumar

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रोग परिचय:-

जब कोई पुरुष चाह कर भी स्त्री के साथ संभोग ( Sex ) न कर सके तो उसको नपुंसक कहा जाता है दूसरे सरलतम शब्दों में इसे यूं भी कहा जा सकता है कि सहवास के समय लिंग में तनाव न होना तथा योनि के बाहर ही वीर्य निकल जाने से पुरुष द्वारा स्त्री को सैक्स में संतुष्ट न कर पाना ही नपुंसकता ( Impotency ) कहलाती है
 बहुत से पुरुषों में कामवासना बहुत रहती है तथा उसके लिंग के तनाव में भी कोई कमी नहीं रहती वह बिल्कुल ठीक होता है किंतु सैक्स के  दौरान लिंग में तनाव कायम रख पाने में असमर्थ होते हैं

वह संभोग से पूर्व स्त्री से प्रेम की विधाओं के दौरान या लिंग को स्त्री की योनि में प्रविष्ट करने के तुरंत बाद स्खलित हो जाते हैं और स्त्री को तृप्त नहीं कर पाते हैं न ही स्वयं संतुष्ट हो पाते हैं

इस स्थिति को भी नपुंसकता ही कहा जाएगा इच्छा होने पर भी जिसका लिंग खड़ा न हो सके या जिसे मैथुन करते समय घबराहट हो जाए व पसीने से तरबतर हो जाए तथा अति शीघ्र स्खलित हो जाए उसे भी नपुंसक कहते हैं

प्रकार:- नपुंसकता ( Impotency ) मुख्यतः दो प्रकार की होती है

A:-प्राथमिक नपुंसकता ( Primary Impotency )

B:-द्वितीयक नपुंसकता  (secondary Impotency )


A:- प्राथमिक नपुंसकता :-( Primary Impotency )

इस प्रकार की नपुंसकता में मनुष्य  लिंग में तनाव ना होने के कारण एक बार भी सेक्स नहीं कर पाते हैं

B:-द्वितीयक नपुंसकता :- (Secondary Impotency )

इसमें रोगी आरंभ मे तो तो ठीक प्रकार से सेक्स कर लेता है लेकिन कुछ समय बाद लैंगिक उत्थान यानी लिंग खड़ा होने में कमी के कारण सेक्स नहीं कर पाता है वह बार -बार सेक्स करने का प्रयास करता है कामोत्तेजक फिल्में देखता है किताबे पड़ता है मन में कामोत्तेजक विचार लाता है ताकि लिंग में भली प्रकार तनाव आ जाए परंतु असफल रहता है

 रोग के मुख्य कारण:-

 कम आयु में सेक्स कार्य में अधिक लिप्त रहना

 अत्यधिक हस्तमैथुन करना

 लंबे समय तक बीमारी की वजह से भी नपुंसकता आ जाती है

 सेक्स संबंधी कोई आघात

 अत्यधिक मादक पदार्थों का सेवन

 प्रमेह या स्वपनदोष का अधिक होना

 अनुचित विधियों से वीर्य का नाश

 वेश्याओं के पास अधिक जाना

 लंबे समय तक शीघ्रपतन की शिकायत

 लिंग  पर या टेस्टिस पर यह कमर की हड्डी पर चोट लगने से भी नपुंसकता आ सकती है

पुरुषों के टेस्टिस में पुरुष  हार्मोन्स का न बनना आदि

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दोस्तों मैं आपको एक खास बात बता दूँ जिन लोगों को सोते समय या सुबह उठने के समय लिंग में तनाव आता हो वह नपुंसक नहीं होते हैं 80% लोग मानसिक तनाव की वजह से सेक्स नहीं कर पाते हैं वह लोग भी अपने आप को नपुंसक ही समझने लगते हैं पर ऐसा नहीं है

लक्षण:-

 बहुत प्रयास करने के बाद भी लिंग में पूरा तनाव नहीं आता है
लिंग में थोड़ा बहुत तनाव आता है परंतु स्त्री के पास जाते ही खत्म हो जाता है सेक्स की इच्छा होते हुए भी सेक्स कर नहीं कर पाता है
स्त्री के पास जाने से भी घबराहट होती है सेक्स करने का प्रयत्न करते ही शरीर से पसीना निकलना आरंभ हो जाता है तथा मन घबराने लगता है रोगी का आत्मविश्वास खत्म हो जाता है वह रात दिन टेंशन में रहने लगता है

इलाज  ( Treatment) :-


1:- इंजेक्शन टेस्टोस्टेरॉन 250 mg

( Injection Testosterone 250mg )    यह इंजेक्शन पुरुष हारमोंस में कमी अविकसित अंग और सेक्स की अनिच्छा में दिया जाता हैं
यह इंजेक्शन एक हफ्ते में एक बार लगवाना चाहिए

2:-टैबलेट मेस्टरोलोने mg ( Tablet Mesterolone 25 mg )

 दो दो टैबलेट सुबह शाम

3:-बीकॉम्प्लेक्स विटामिन्स (Be complex Vitamins)

 सुबह शाम

4:-विटामिन ई 400 mg  (विटामिन ई  )

सुबह- शाम

5:-Tadalafil 20 mg टैबलेट  ( मेगलिस 20 mg टैबलेट )

यह टैबलेट आपको तीसरे दिन खानी है

उपरोक्त Treatment बहुत ही ज्यादा पावर फुल हैं  इन सभी दवाइयों को आप को दूध के साथ सेवन करना है इस ट्रीटमेन्ट को लेने पर आपकी नपुंसकता जरुर समाप्त हो जाएगी

पथ्य:- दूध बादाम मूंगफली हरी सब्जियां अंडा मांस आदि

अपथ्य:- शराब, कामोत्तेजक फिल्म व किताब ठंडी चीजें नशे की चीजें आदि


नोट:-

 उपरोक्त ट्रीटमेन्ट बहुत ही पावर फुल हैं लेकिन फिर भी दवाओं का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें


Thursday, January 2, 2020

कीजिए किसी भी तरह के न्यूमोनिया का इलाज 2020


रोग परिचय:-

फेफड़ों की सूजन व इंफेक्शन को न्यूमोनिया कहा जाता है फेफड़ों के ऊतको में दृढ़ीकरण हो जाने के कारण रोगी को बुखार खांसी सांस लेने में कष्ट होने लगता है निमोनिया को उसके कारण के अनुसार उनके अलग-अलग नाम से कह सकते हैं जैसे 

बैक्टीरियल न्यूमोनिया

फंगल न्यूमोनिया 

वायरल न्यूमोनिया 

रिकेट्सियल न्यूमोनिया 

प्रोटोजोअल न्यूमोनिया

वैसे न्यूमोनिया को हम दो भागों में बांट सकते हैं

A- लोबर न्यूमोनिया या प्राइमरी न्यूमोनिया

B- लोब्यूलर न्यूमोनिया या ब्रॉन्को न्यूमोनिया


A-लोबर न्यूमोनिया या प्राइमरी न्यूमोनिया

इस न्यूमोनिया में फेफड़ों में सूजन आ जाती है लोबर न्यूमोनिया न्यूमोकोककई बैक्टीरिया के इंफेक्शन के कारण फेफड़ों के कुछ भागों में एक जैसा (Consolidation) दर्डी करण हो जाता है

कारण:-

95% रोग स्ट्रैप्टॉकोक्कस न्यूमोनाई की वजह से होते हैं वैसे मनुष्य के गले में बहुत से बैक्टीरिया होते हैं जैसे स्टेफ. पायोजींस ,स्ट्रैप.पायोजींस ,क्लैबसिला न्यूमोनाई एच. इनफ्लुएंजा आदि लेकिन मनुष्य को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं जब भी मनुष्य की इम्यूनिटी पावर यानी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तब बैक्टीरिया फेफड़ों में जाकर प्राइमरी निमोनिया उत्पन्न कर देते है  सर्दी गर्मी के परिवर्तन में भी यह रोग जल्दी हो जाता है यह सर्दियों की शुरुआत में ज्यादा होता है जो बच्चे कमजोर होते हैं उनको भी यह न्यूमोनिया जल्दी-जल्दी होता रहता हैं

लक्षण:-

यह रोग अचानक से होता है सर्दी लगती है तथा कभी-कभी उल्टी भी हो सकती है इसके बुखार भी हो जाता है थकान ,सिर दर्द ,बदन दर्द तथा पूरा शरीर टूटा- टूटा सा रहता है रोगी की सांस तेज हो जाती है कभी-कभी छाती में दर्द भी हो जाता है और छाती में बलगम भी जम जाता है सांस लेने पर गड़गड़ाहट की आवाज साफ सुनाई देती  है

B-ब्रोंको न्यूमोनिया

 फेफड़ों की प्राथमिक इकाई लॉब्यूल्स में जगह-जगह पर इंफेक्शन से होने वाले न्यूमोनिया को ब्रॉन्को न्यूमोनिया या लोब्यूलर न्यूमोनिया कहते हैं इस न्यूमोनिया में फेफड़ों के साथ ब्रोंकायोल्स यानी सांस की नली में भी इंफेक्शन हो जाने से फेफड़ों में जगह जगह पर छोटे-छोटे घाव हो  जाते हैं यह रोग अधिकतर बच्चों और बूढ़ों में होता है यह रोग बिना समुचित चिकित्सा के ठीक नहीं होता यदि सही समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह आगे चलकर  पल्मोनरी फाइब्रोसिस में बदल जाता है

कारण:-

इस रोग का मुख्य कारण  न्यूमोकोक्कई बैक्टीरिया , स्टेफिलोकोक्कई, स्ट्रैप्टॉकोक्कई और एच. इनफ्लुएंजा है यह रोग जीवाणु ,वायरस, फंगस ,कर्मी जहरीली गैसों आदि किसी से भी हो सकता है बच्चों में खसरा व काली खांसी के बाद हो जाता है तथा जब रोगी की इम्युनिटी पावर कम हो जाती है तब भी यह रोग जल्दी हो जाता है

लक्षण:-

इस न्यूमोनिया  मैं सबसे पहले खांसी होती है इसमें 103 या 104 डिग्री फॉरेनहाइट तक बुखार हो जाता है कुछ समय बाद बलगम बनने लगता है इंफेक्शन होने से बलगम पहले पीले और उसके बाद हल्के हरे रंग का हो जाता है कुछ दिन बाद इस रोग के साथ-साथ खसरा काली खांसी दमा तीव्र व जीर्ण ब्रोंकाइटिस के लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं

इलाज:- Tretment ( बच्चों के लिए )

1-Cefakind Syrup (  शिफा काइंड सिरप)

सबसे पहले आपको शिफा काइंड सिरप लेनी है इसी सिरप में दो गोली शिफा काइंड 500mg की पीसकर मिला लेनी है उसके बाद इसी सिरप के साथ जो पानी आता है उसमें डालकर घोल ले

2-Crocin Syrup ( क्रोसिन सिरप)

3-Sinarest Syrup (  सिनारेस्ट सिरप)

 आपका बच्चा 2 साल का है तो उपरोक्त तीनों दवाइयों में से आधी-आधी चम्मच सुबह दोपहर शाम यानी हर 8 घंटे बाद देनी है यदि आपका बच्चा छोटा है  तो मात्रा कम कर दें और बड़ा है तो दवाई की मात्रा थोड़ी ज्यादा कर ले

  उपरोक्त तीनों दवाई एलोपैथी है और किसी भी एलोपैथिक मेडिकल स्टोर पर प्राप्त हो जाएंगी

 यदि आप बच्चे में निमोनिया के लक्षण पहचानते ही आप यह दवाई  समय पर देते हैं तो शत प्रतिशत आपका बच्चा बिल्कुल ठीक हो जाएगा और आपको किसी भी डॉक्टर या हॉस्पिटल में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी यह हमारा सैकड़ों बच्चों पर आजमाया हुआ ईलाज है


नोट:-  उपरोक्त उपरोक्त दवाइयां बहुत अच्छी है लेकिन यूज करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य ले


दोस्तों आपको यह पोस्ट कैसी लगी या आप किस बीमारी के इलाज के बारे में पोस्ट चाहते हैं हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं आपके सुझाव का हम तहे दिल से स्वागत करेंगे।

Wednesday, January 1, 2020

गुर्दे की पथरी Kidney stone निकाले बगैर ऑपरेशन 2020 by Dr. Amrish Kumar

गुर्दे की पथरी  Kidney stone निकाले बगैर ऑपरेशन 2020  by Dr. Amrish Kumar
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रोग परिचय और कारण:-

ऐसे व्यक्ति जिनका मेटाबोलिजम ठीक ना हो तथा जिनके मूत्र में कैलशियम ऑक्सलेट ,कैलशियम मैग्निशियम फास्फेट ,यूरिक एसिड , यूरेट्स अधिक आते हो जिनके कारण उनके गुर्दों में विक्षोभ बना रहता है तथा उनसे कॉलोइड्स (Colloids)
पदार्थ की उत्पत्ति अधिक होती है जिनका मूत्र अधिक अम्लीय हो जिनके खाने में विटामिन ए और कैल्शियम की न्यूनता हो तथा जो व्यक्ति पानी पानी कम पीता हो उसका मूत्र गाढ़ा हो जाए या पसीना अधिक आता हो और मूत्र कम आता हो तब  गुर्दे की पथरी बनने की प्रवृत्ति अधिक होती है गुर्दे की पथरी स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों में दाएं गुर्दे की अपेक्षा बाएं गुर्दे में तथा मूत्राशय के अपेक्षा गुर्दे में अधिक होती हैं
कैल्शियम ऑक्सलेट की पथरी काली भूरी खुरदरी कठोर कांटेदार तथा वेदना जनक होती है
यूरिक एसिड यूरेट्स की पथरी अम्लीय मूत्र में होती है तथा पीली हल्की भूरी होती है
कैल्शियम फास्फेट की पथरी श्वेत और नरम होती है तथा अक्स आर्य मूत्र में होती हैं।
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Kidney images
मुख्य कारण:-

मेटाबोलिक परिवर्तन

रचना संबंधित विकृतियां

मूत्र का अधिक गाढ़ा होना

युरेटर के अंकुरार्बुद   (Uterine Pepiloma)

रक्त या पुय का थक्का

पानी कम पीना

 इन्फेक्शन व मूत्र मार्ग अवरोध


 मुख्य लक्षण:- 

- रोगी के कमर व पेडू में दर्द रहता है जो जांघ और टेस्टिस ग्रंथि कि और भी होता है या संपूर्ण पेट में दर्द होकर पीठ की ओर निकलता हैं
- तेज वह असहनीय दर्द के कारण रोगी व्याकुल हो उठता है तथा उसको ठंडा पसीना आ सकता है
- रोगी को बुखार के साथ जी मिचलाना और उल्टी भी हो सकती है
 रोगी को मूत्र बूंद बूंद करके दर्द के साथ आता है या मूत्र आना बंद हो जाता है
 -जब तक पथरी किडनी में रहती है तब तक रोगी को दर्द नहीं होता लेकिन जब पथरी मूत्र नली में आ जाती है तब बहुत तेज व असहनीय दर्द रोगी को होता है यह दर्द कुछ मिनट घंटों या एक-दो दिन तक रह सकता है तथा पथरी के मूत्राशय में उतर जाने के बाद दर्द शांत हो जाता है

kidney beens
इलाज:-

माजून अकरब

माजून हजरल यहूद

निरी टैबलेट   (Neeri)

उपरोक्त दोनों माजून यूनानी दवाई है जो देखने में चवनप्राश की तरह होती हैं और नीरी टैबलेट आयुर्वेदिक गोली हैं यह तीनों दवाई आपको किसी भी आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर पर आसानी से मिल जाएगी दोनों माजून आपको रेक्स रेमेडीज कंपनी की लेनी है
 दोनों  माजूनो में से दस दस ग्राम सुबह शाम और दो-दो गोली सुबह-शाम लेनी है

अगर आप यह दवाई  पांच सात हफ्ते लगातार  खाते हैं तो आपकी गुर्दे की पथरी गल गल कर मूत्र के रास्ते निकल जाएगी

  पथ्य:-  कुलथी की दाल का काढ़ा बनाकर पिएं हरि रेशेदार सब्जी ज्यादा खाएं पानी ज्यादा से ज्यादा  पिए


अपथ्य:-  

गरिष्ठ भोजन ना खाएं तली भुनी चीजें आदि न खायें

नोट:-   

उपरोक्त सभी दवाइयां आयुर्वेदिक हैं जिनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है लेकिन फिर भी यूज करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य ले

दोस्तों आपको यह हमारी पोस्ट कैसी लगी कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और अपने सुझाव दें कि आप किस बीमारी का इलाज चाहते हैं ।

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