रोग परिचय:-
फेफड़ों की सूजन व इंफेक्शन को न्यूमोनिया कहा जाता है फेफड़ों के ऊतको में दृढ़ीकरण हो जाने के कारण रोगी को बुखार खांसी सांस लेने में कष्ट होने लगता है निमोनिया को उसके कारण के अनुसार उनके अलग-अलग नाम से कह सकते हैं जैसे
बैक्टीरियल न्यूमोनिया
फंगल न्यूमोनिया
वायरल न्यूमोनिया
रिकेट्सियल न्यूमोनिया
प्रोटोजोअल न्यूमोनिया
वैसे न्यूमोनिया को हम दो भागों में बांट सकते हैं
A- लोबर न्यूमोनिया या प्राइमरी न्यूमोनिया
B- लोब्यूलर न्यूमोनिया या ब्रॉन्को न्यूमोनिया
A-लोबर न्यूमोनिया या प्राइमरी न्यूमोनिया
इस न्यूमोनिया में फेफड़ों में सूजन आ जाती है लोबर न्यूमोनिया न्यूमोकोककई बैक्टीरिया के इंफेक्शन के कारण फेफड़ों के कुछ भागों में एक जैसा (Consolidation) दर्डी करण हो जाता है
कारण:-
95% रोग स्ट्रैप्टॉकोक्कस न्यूमोनाई की वजह से होते हैं वैसे मनुष्य के गले में बहुत से बैक्टीरिया होते हैं जैसे स्टेफ. पायोजींस ,स्ट्रैप.पायोजींस ,क्लैबसिला न्यूमोनाई एच. इनफ्लुएंजा आदि लेकिन मनुष्य को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं जब भी मनुष्य की इम्यूनिटी पावर यानी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तब बैक्टीरिया फेफड़ों में जाकर प्राइमरी निमोनिया उत्पन्न कर देते है सर्दी गर्मी के परिवर्तन में भी यह रोग जल्दी हो जाता है यह सर्दियों की शुरुआत में ज्यादा होता है जो बच्चे कमजोर होते हैं उनको भी यह न्यूमोनिया जल्दी-जल्दी होता रहता हैं
लक्षण:-
यह रोग अचानक से होता है सर्दी लगती है तथा कभी-कभी उल्टी भी हो सकती है इसके बुखार भी हो जाता है थकान ,सिर दर्द ,बदन दर्द तथा पूरा शरीर टूटा- टूटा सा रहता है रोगी की सांस तेज हो जाती है कभी-कभी छाती में दर्द भी हो जाता है और छाती में बलगम भी जम जाता है सांस लेने पर गड़गड़ाहट की आवाज साफ सुनाई देती है
B-ब्रोंको न्यूमोनिया
फेफड़ों की प्राथमिक इकाई लॉब्यूल्स में जगह-जगह पर इंफेक्शन से होने वाले न्यूमोनिया को ब्रॉन्को न्यूमोनिया या लोब्यूलर न्यूमोनिया कहते हैं इस न्यूमोनिया में फेफड़ों के साथ ब्रोंकायोल्स यानी सांस की नली में भी इंफेक्शन हो जाने से फेफड़ों में जगह जगह पर छोटे-छोटे घाव हो जाते हैं यह रोग अधिकतर बच्चों और बूढ़ों में होता है यह रोग बिना समुचित चिकित्सा के ठीक नहीं होता यदि सही समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह आगे चलकर पल्मोनरी फाइब्रोसिस में बदल जाता है
कारण:-
इस रोग का मुख्य कारण न्यूमोकोक्कई बैक्टीरिया , स्टेफिलोकोक्कई, स्ट्रैप्टॉकोक्कई और एच. इनफ्लुएंजा है यह रोग जीवाणु ,वायरस, फंगस ,कर्मी जहरीली गैसों आदि किसी से भी हो सकता है बच्चों में खसरा व काली खांसी के बाद हो जाता है तथा जब रोगी की इम्युनिटी पावर कम हो जाती है तब भी यह रोग जल्दी हो जाता है
लक्षण:-
इस न्यूमोनिया मैं सबसे पहले खांसी होती है इसमें 103 या 104 डिग्री फॉरेनहाइट तक बुखार हो जाता है कुछ समय बाद बलगम बनने लगता है इंफेक्शन होने से बलगम पहले पीले और उसके बाद हल्के हरे रंग का हो जाता है कुछ दिन बाद इस रोग के साथ-साथ खसरा काली खांसी दमा तीव्र व जीर्ण ब्रोंकाइटिस के लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं
इलाज:- Tretment ( बच्चों के लिए )
1-Cefakind Syrup ( शिफा काइंड सिरप)
सबसे पहले आपको शिफा काइंड सिरप लेनी है इसी सिरप में दो गोली शिफा काइंड 500mg की पीसकर मिला लेनी है उसके बाद इसी सिरप के साथ जो पानी आता है उसमें डालकर घोल ले
2-Crocin Syrup ( क्रोसिन सिरप)
3-Sinarest Syrup ( सिनारेस्ट सिरप)
आपका बच्चा 2 साल का है तो उपरोक्त तीनों दवाइयों में से आधी-आधी चम्मच सुबह दोपहर शाम यानी हर 8 घंटे बाद देनी है यदि आपका बच्चा छोटा है तो मात्रा कम कर दें और बड़ा है तो दवाई की मात्रा थोड़ी ज्यादा कर ले
उपरोक्त तीनों दवाई एलोपैथी है और किसी भी एलोपैथिक मेडिकल स्टोर पर प्राप्त हो जाएंगी
यदि आप बच्चे में निमोनिया के लक्षण पहचानते ही आप यह दवाई समय पर देते हैं तो शत प्रतिशत आपका बच्चा बिल्कुल ठीक हो जाएगा और आपको किसी भी डॉक्टर या हॉस्पिटल में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी यह हमारा सैकड़ों बच्चों पर आजमाया हुआ ईलाज है
नोट:- उपरोक्त उपरोक्त दवाइयां बहुत अच्छी है लेकिन यूज करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य ले
दोस्तों आपको यह पोस्ट कैसी लगी या आप किस बीमारी के इलाज के बारे में पोस्ट चाहते हैं हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं आपके सुझाव का हम तहे दिल से स्वागत करेंगे।
रोग परिचय:-
फेफड़ों की सूजन व इंफेक्शन को न्यूमोनिया कहा जाता है फेफड़ों के ऊतको में दृढ़ीकरण हो जाने के कारण रोगी को बुखार खांसी सांस लेने में कष्ट होने लगता है निमोनिया को उसके कारण के अनुसार उनके अलग-अलग नाम से कह सकते हैं जैसे
बैक्टीरियल न्यूमोनिया
फंगल न्यूमोनिया
वायरल न्यूमोनिया
रिकेट्सियल न्यूमोनिया
प्रोटोजोअल न्यूमोनिया
वैसे न्यूमोनिया को हम दो भागों में बांट सकते हैंA- लोबर न्यूमोनिया या प्राइमरी न्यूमोनिया
B- लोब्यूलर न्यूमोनिया या ब्रॉन्को न्यूमोनिया
A-लोबर न्यूमोनिया या प्राइमरी न्यूमोनिया
इस न्यूमोनिया में फेफड़ों में सूजन आ जाती है लोबर न्यूमोनिया न्यूमोकोककई बैक्टीरिया के इंफेक्शन के कारण फेफड़ों के कुछ भागों में एक जैसा (Consolidation) दर्डी करण हो जाता हैकारण:-
95% रोग स्ट्रैप्टॉकोक्कस न्यूमोनाई की वजह से होते हैं वैसे मनुष्य के गले में बहुत से बैक्टीरिया होते हैं जैसे स्टेफ. पायोजींस ,स्ट्रैप.पायोजींस ,क्लैबसिला न्यूमोनाई एच. इनफ्लुएंजा आदि लेकिन मनुष्य को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं जब भी मनुष्य की इम्यूनिटी पावर यानी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तब बैक्टीरिया फेफड़ों में जाकर प्राइमरी निमोनिया उत्पन्न कर देते है सर्दी गर्मी के परिवर्तन में भी यह रोग जल्दी हो जाता है यह सर्दियों की शुरुआत में ज्यादा होता है जो बच्चे कमजोर होते हैं उनको भी यह न्यूमोनिया जल्दी-जल्दी होता रहता हैंलक्षण:-
यह रोग अचानक से होता है सर्दी लगती है तथा कभी-कभी उल्टी भी हो सकती है इसके बुखार भी हो जाता है थकान ,सिर दर्द ,बदन दर्द तथा पूरा शरीर टूटा- टूटा सा रहता है रोगी की सांस तेज हो जाती है कभी-कभी छाती में दर्द भी हो जाता है और छाती में बलगम भी जम जाता है सांस लेने पर गड़गड़ाहट की आवाज साफ सुनाई देती है
B-ब्रोंको न्यूमोनिया
फेफड़ों की प्राथमिक इकाई लॉब्यूल्स में जगह-जगह पर इंफेक्शन से होने वाले न्यूमोनिया को ब्रॉन्को न्यूमोनिया या लोब्यूलर न्यूमोनिया कहते हैं इस न्यूमोनिया में फेफड़ों के साथ ब्रोंकायोल्स यानी सांस की नली में भी इंफेक्शन हो जाने से फेफड़ों में जगह जगह पर छोटे-छोटे घाव हो जाते हैं यह रोग अधिकतर बच्चों और बूढ़ों में होता है यह रोग बिना समुचित चिकित्सा के ठीक नहीं होता यदि सही समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह आगे चलकर पल्मोनरी फाइब्रोसिस में बदल जाता है
कारण:-
इस रोग का मुख्य कारण न्यूमोकोक्कई बैक्टीरिया , स्टेफिलोकोक्कई, स्ट्रैप्टॉकोक्कई और एच. इनफ्लुएंजा है यह रोग जीवाणु ,वायरस, फंगस ,कर्मी जहरीली गैसों आदि किसी से भी हो सकता है बच्चों में खसरा व काली खांसी के बाद हो जाता है तथा जब रोगी की इम्युनिटी पावर कम हो जाती है तब भी यह रोग जल्दी हो जाता है
लक्षण:-
इस न्यूमोनिया मैं सबसे पहले खांसी होती है इसमें 103 या 104 डिग्री फॉरेनहाइट तक बुखार हो जाता है कुछ समय बाद बलगम बनने लगता है इंफेक्शन होने से बलगम पहले पीले और उसके बाद हल्के हरे रंग का हो जाता है कुछ दिन बाद इस रोग के साथ-साथ खसरा काली खांसी दमा तीव्र व जीर्ण ब्रोंकाइटिस के लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं
इलाज:- Tretment ( बच्चों के लिए )
1-Cefakind Syrup ( शिफा काइंड सिरप)
सबसे पहले आपको शिफा काइंड सिरप लेनी है इसी सिरप में दो गोली शिफा काइंड 500mg की पीसकर मिला लेनी है उसके बाद इसी सिरप के साथ जो पानी आता है उसमें डालकर घोल ले
2-Crocin Syrup ( क्रोसिन सिरप)
3-Sinarest Syrup ( सिनारेस्ट सिरप)
आपका बच्चा 2 साल का है तो उपरोक्त तीनों दवाइयों में से आधी-आधी चम्मच सुबह दोपहर शाम यानी हर 8 घंटे बाद देनी है यदि आपका बच्चा छोटा है तो मात्रा कम कर दें और बड़ा है तो दवाई की मात्रा थोड़ी ज्यादा कर ले
उपरोक्त तीनों दवाई एलोपैथी है और किसी भी एलोपैथिक मेडिकल स्टोर पर प्राप्त हो जाएंगी
यदि आप बच्चे में निमोनिया के लक्षण पहचानते ही आप यह दवाई समय पर देते हैं तो शत प्रतिशत आपका बच्चा बिल्कुल ठीक हो जाएगा और आपको किसी भी डॉक्टर या हॉस्पिटल में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी यह हमारा सैकड़ों बच्चों पर आजमाया हुआ ईलाज है
दोस्तों आपको यह पोस्ट कैसी लगी या आप किस बीमारी के इलाज के बारे में पोस्ट चाहते हैं हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं आपके सुझाव का हम तहे दिल से स्वागत करेंगे।
उपरोक्त तीनों दवाई एलोपैथी है और किसी भी एलोपैथिक मेडिकल स्टोर पर प्राप्त हो जाएंगी
यदि आप बच्चे में निमोनिया के लक्षण पहचानते ही आप यह दवाई समय पर देते हैं तो शत प्रतिशत आपका बच्चा बिल्कुल ठीक हो जाएगा और आपको किसी भी डॉक्टर या हॉस्पिटल में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी यह हमारा सैकड़ों बच्चों पर आजमाया हुआ ईलाज है
नोट:- उपरोक्त उपरोक्त दवाइयां बहुत अच्छी है लेकिन यूज करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य ले
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