Leucorrhea
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सभी स्वस्थ स्त्री की योनि की दीवारों से अल्प मात्रा में एक प्रकार का स्राव निकलता रहता है जिससे योनि गीली रहती है जब यह स्राव अधिक मात्रा में उत्पन्न होने लगता है तो बहकर योनि द्वार तक आ जाता है तथा बाहर निकलने लगता है तब इसे ल्यूकोरिया कहा जाता है स्त्री की वेजाइना से mucoid द्रव जो एक Glycoprotein हैं स्वभावता निकलता है उसमें पस या leucocytes की उपस्थिति नहीं होती है इस लिक्विड का carbohydrate का आंश योनि मार्ग में विद्यमान Doderlein's Dacilli के द्वारा लैक्टिक एसिड के रूप में परिवर्तित हो जाता है इसलिए वैजाइना मार्ग में विद्यमान इस द्रव का ph4 से अधिक नहीं होता हैं
सर्विक्स और वैजाइना के अंदर की झिल्ली के सेलो का Karatinised होना और उनसे Transudation का होना यह सब एस्ट्रोजन की प्रेरणा से होता है
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ल्यूकोरिया आमतौर पर तीन प्रकार का होता है
1. Monilia leucorrhoea
इसमें रोगिनी की वैजाइना से निकलने वाला लिक्विड सफेद पानी दही के समान गाढ़ा होता है और रोगिनी कि वैजाइना के आसपास खुजली भी होती है2.Trichomonas Leucorrhoea
इसमें रोगिणी की योनि से निकलने वाला लिक्विड पतला तथा पीले रंग का होता है तथा योनि के आसपास खुजली भी होती है3.Gonorrhea के कारण होने वाला Leucorrhoea
इसमें रोगिनी की वैजाइना से निकलने वाला लिक्विड पस वाला और बदबूदार होता है तथा रोगिनी को मूत्र त्याग करते समय जलन भी होती है![]() |
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यह रोग मल्टी विटामिंस की कमी,अत्यधिक चिंता ,शारीरिक कमजोरी, बार-बार प्रसव या गर्भपात तथा योनि में गोनोकोक्कस ,सिफलिस, हरपीज ,क्लैमाइडिया, ट्राईकोमोनाश ,केडिक जैसे विषाणुओ तथा जीवाणुओं का इंफेक्शन इस रोग का कारण है
लेकिन रजोनिवृत्ति के बाद शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी हो जाने से इसके इंफेक्शन की आशंका बढ़ जाती है मधुमेह ,खांसी तथा दमा रोग से पीड़ित स्त्रियों में भी इस रोग के होने की आशंका बढ़ जाती है
इसके अतिरिक्त गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करना copper-t या गर्भनिरोधक जेली या नायलॉन का अंडरवियर पहनने,योनि की सफाई ठीक प्रकार से न रखने पर भी इस रोग के होने का खतरा बढ़ जाता है
आधुनिक स्त्रियों का यह रोग सबसे बड़ा शत्रु है जो स्त्रियां कोई काम नहीं करती है या युवावस्था से ही यौन संबंधों में लिप्त रहकर अधिक मादक द्रव्यों का सेवन करती हैं रोग का शिकार हो जाती हैं कृत्रिम यौन उपकरणों का प्रयोग ,अश्लील वातावरण तथा अधिक संतान उत्पन्न करना भी इस रोग का कारण हो सकता है
अश्लील साहित्य का पठन-पाठन ,ब्लू फिल्में देखना,योनि में गंदी उंगली का बार बार प्रवेश, कब्ज,अजीर्ण,अत्यधिक परिश्रम करना, कम आयु में गर्भ धारण करना ,अतिरिक्त कामेच्छा आदि भी इस रोग के होने का मुख्य कारण है
रोग के मुख्य लक्षण:-
रोग की शुरूआत में रोगिनी को शारीरिक कमजोरी होती है बार बार चक्कर का आना,आंखों के सामने अंधेरा छा जाना,जी मिचलाना उबकाई आना, बार-बार मूत्र त्याग करना, कब्ज रहना, पेट साफ ना होना,भूख न लगना, जांघों में में भारीपन तथा उन में खिंचाव सा होने का कष्ट ,रोग के अधिक समय तक बने रहने की अवस्था में हृदय का चारों ओर भार तथा आगे चलकर पीड़ा भी होने लग जाना.रोगिनी का चेहरा दिन पर दिन पीला पड़ता जाता है योनि में खुजली तदुपरांत सफेद या लाल पीला लिक्विड निकलना,कमर में ,पैरों की पिंडलियों में दर्द रहना.
रोगिनी का स्वास्थ्य और सौंदर्य दोनों ही नष्ट होने लगते हैं शरीर में अत्यधिक खून की कमी हो जाती है कभी-कभी बुखार भी आने लगता है संपूर्ण शरीर में दर्द तथा हथेलियों और पैरों के तलवों में जलन होती है
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antifungal cream का सुबह-शाम प्रयोग करना चाहिए
Infection से उत्पन्न लुकोरिया में Antibiotics का प्रयोग करें
Trichomonas vaginitis से उत्पन्न ल्यूकोरिया में मैट्रोनिडाज़ोल का प्रयोग करे
Antibacterial lotion पानी में मिलाकर वेजाइना की दिन में तीन बार सफाई करें
पथ्य:-
स्वास्थ्यवर्धक भोजन दूध फल हरी सब्जियां आदि साफ व स्वच्छ वायु में सुबह शाम घूमना चाहिएअपथ्य:-
खट्टे खाद्य पदार्थ, मिर्च मसाले,अत्यधिक गर्म खाद्य पदार्थ, अधिक तेल से बने खाद्य पदार्थ तथा बासी भोजन नहीं करना चाहिएचाय कॉफी शराब भांग अफीम अन्य मादक पदार्थ भी नहीं लेने चाहिए
रोगिणी को अपनी vagaina की भली भांति सफाई रखनी चाहिए
नोट- कोई भी ट्रीटमेंट लेने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें.
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